Hajari Prasad Dwivedi ka janm,mrityu,mata pita,rachnay
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी आज ही बंद साहित्य साधना में लगे रहे मूल रूप से साहित्य का सृजन करने की योग्यता बाल्यकाल से ही विद्वान थे।
आज हम इस लेख में हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म कब हुआ कहां हुआ और उनके माता-पिता कौन है बे इन्होंने कौन-कौन सी रचनाएं की हैं आइए जानते हैं -:
Hajari Prasad Dwivedi ka janm -:
हिंदी साहित्य के महान कवि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म 1907 ईस्वी में बलिया जिले के दुबे का छपरा नामक ग्राम में हुआ था। आपको बता दें आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने हिंदी एवं संस्कृत भाषाओं का गहन अध्ययन किया।
Hajari Prasad Dwivedi ke mata pita
सन 1907 ईस्वी में जन्मे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के पिता का नाम श्री अनमोल दुबे और माता का नाम श्रीमती ज्योतिकली देवी था।
जन्म -: 1907 ई०
पिता का नाम -: श्री अनमोल दुबे
माता का नाम -: श्रीमती ज्योतिकली देवी
भारत के श्रेष्ठ साहित्यकारों की संख्या में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की गणना उच्च कोटि के साहित्यकारों में की जाती है। इस कार्य से इनके माता-पिता इतना खुश थे कि वह अपने शब्दों में खुशी को बयां नहीं कर पाते थे।
Hajari Prasad Dwivedi ki kritiyan
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने बाल्यकाल में ही श्री ब्योमकेश शास्त्र से कविता लिखने की कला सीखनी प्रारंभ कर दी थी। धीरे-धीरे साहित्य जगत इनकी विलक्षण प्रतिभा से परिचित होने लगा।
इन्होंने अपने जीवन में बहुत सी कृतियां लिखी हैं जो इस प्रकार है -:
आलोचना -: सूर-साहित्य, हिंदी साहित्य की भूमिका, हिंदी साहित्य का आदिकाल, कालिदास की ललित्य योजना, सूरदास और उनका काव्य, कबीर, हमारी साहित्यिक समस्याएं, साहित्य का मर्म, भारतीय वांग्मय, साहित्य-सहचर, नख दर्पण में हिंदी कविता आदि ।
निबंध संग्रह -: अशोक के फूल, कुटज, विचार प्रवाह, विचार और वितर्क, कल्पलता, आलोक पर्व आदि ।
Hajari Prasad Dwivedi ke upanyas
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने जीवन में बहुत से उपन्यासों की रचना की है जैसे -:
बाणभट्ट की आत्मकथा, चारुचंद्र लेख, पुनर्नवा, अनामदास का पोथा आदि ।
अनूदित साहित्य -: प्रबंध चिंतामणि, पुरातन प्रबंध संग्रह, प्रबंध कोष, विश्व परिचय, लाल कनेर, मेरा बचपन आदि ।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी भाषा के प्रकांड पंडित थे। संस्कृत निष्ठ शब्दावली के साथ-साथ आचार्य जी ने अपने निबंधों में उर्दू फारसी अंग्रेजी तथा देशज शब्दों का भी प्रयोग किया है। इनकी भाषा प्रोढ़ होते हुए भी सरल है।
Hajari Prasad Dwivedi ki mrityu
अनेकों उपन्यास उपन्यासों का सृजन करने वाले आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की मृत्यु स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण 19 मई 1979 ईस्वी को हो गई।
दोस्तों आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी मरने से पहले भारतीय समाज को बहुत सी अनमोल चीजें देकर गए हैं। जैसे इनकी कहानी, उपन्यास निबंध आदि में एक अलग ही भाषा झलकती है।

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